Mhare Satguru ke darbar mein ||आन्नद के लुटे खजाने सतगुरु के दरबार में

Anand ke lutai khazane, Mhare Satguru ke darbar mein

https://www.youtube.com/watch?v=NIZEvB3wBUE

और सतगुरू के दरबार मै, मन जाइए बारम बार
वे त काग पलट हंसा करै, ना करते लावै वार
और जीवन का अर्थ कार ले, ये भाषा किन्हें विचार
और तीसी अन्तर्भुज के, और उतरो भव जल पार
और कल ही में जीवन अर्प है, और करिये बेग समार
और तनसा धन ना हो सकै, और केवल नाम आधार

कहते हैं अपने सतगुरू से शिष क्या पूछता है अक सतगुरू जी जगाना क्या है तो क्या बताया –
भई प्रेम जगावै ग्रह का, और ग्रह जगाये पीव
और पीव जगावै ब्रहा को, वहीं लीव वही पीव

आनंद के लुटै खजाने म्हारे सतगुरू के दरबार मै
आनंद के लुटै खजाने म्हारे सतगुरू के दरबार मै
क्यूँ खाक छानता पगले इस दुनिया की बेकार मै
क्यूँ खाक छानता पगले इस दुनिया की बेकार मै
आनंद के लुटै खजाने म्हारे सतगुरू के दरबार मै
क्यूँ खाक छानता पगले इस दुनिया की बेकार मै
धन में सुख ढूँढन आलों, धन वालों से पूछ लो
धन में सुख ढूँढन आलों, धन वालों से पूछ लो
उन्हें चैन नहीं मिलता है, पल भर के कार – व्यवहार में
उन्हें चैन नहीं मिलता है, पल भर के कार – व्यवहार में
आनंद के लुटै खजाने म्हारे सतगुरू के दरबार मै
क्यूँ खाक छानता पगले इस दुनिया की बेकार मै

हो सतगुरू के दरबार मै, म्हारे दाता के दरबार मै
सतगुरू के दरबार मै, म्हारे दाता के दरबार मै
आनंद के लुटै खजाने म्हारे सतगुरू के दरबार मै
क्यूँ खाक छानता पगले इस दुनिया की बेकार मै
कोठी – बंगले कारों की, कमी ना जिनके पास मै
कोठी – बंगले कारों की, कमी ना जिनके पास मै
भला वो भी यूँ कहते हैं, हम सुखी नहीं संसार मै
भला वो भी यूँ कहते हैं, हम सुखी नहीं संसार मै
क्यूँ खाक छानता पगले इस दुनिया की बेकार मै
आनंद के लुटै खजाने म्हारे सतगुरू के दरबार मै
भाई चाचा – ताऊ, भाई – भतीजा इतना बड़ा परिवार है
चाचा – ताऊ, भाई – भतीजा इतना बड़ा परिवार है
वो त देखै रोज कचहरी, आपस की तकरार मै
वो त देखै रोज कचहरी, आपस की तकरार मै
आनंद के लुटै खजाने म्हारे सतगुरू के दरबार मै
क्यूँ खाक छानता पगले इस दुनिया की बेकार मै
ना सुख है ग्रहस्थी मै, ना सुख है बण मै जाकै
ना सुख है ग्रहस्थी मै, ना सुख है बण मै जाकै
और रीतानंद समझावै, सुख मिलता अगत विचार मै
और रीतानंद समझावै, सुख मिलता अगत विचार मै
आनंद के लुटै खजाने म्हारे सतगुरू के दरबार मै
क्यूँ खाक छानता पगले इस दुनिया की बेकार मै

आनंद के लुटै खजाने म्हारे सतगुरू के दरबार मै
हो धनगुरू के दरबार मै, म्हारे साहिब के दरबार मै
धनगुरू के दरबार मै, म्हारे दाता के दरबार मै
आनंद के लुटै खजाने म्हारे सतगुरू के दरबार मै
आनंद के लुटै खजाने म्हारे सतगुरू के दरबार मै